हाल ही में योग गुरु बाबा रामदेव ने एक वीडियो में 'शरबत जिहाद' को लेकर जो टिप्पणी की, वह विवाद का विषय बन गई है। इस टिप्पणी में उन्होंने प्रसिद्ध शरबत ब्रांड 'रूह अफजा' के बारे में नकारात्मक बातें कही, जिससे दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई है।
विवाद की शुरुआत
अप्रैल 2025 में बाबा रामदेव ने अपने गुलाब शरबत के प्रचार के दौरान 'रूह अफजा' को लेकर यह दावा किया कि इसके मुनाफे का इस्तेमाल मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में होता है। उन्होंने इसे 'शरबत जिहाद' जैसे शब्दों से जोड़ा, जो कि एक विवादास्पद और संवेदनशील विषय है।
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन की याचिका
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया ने बाबा रामदेव की इस टिप्पणी को आपत्तिजनक बताया और दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। संस्था के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतोगी ने कोर्ट को बताया कि इस बयान से न केवल हमदर्द ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को भी खतरे में डालता है और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाता है। उन्होंने इसे घृणा फैलाने वाला भाषण करार दिया।
बाबा रामदेव का जवाब और कोर्ट की प्रतिक्रिया
बाबा रामदेव की ओर से यह दलील दी गई कि उन्होंने किसी ब्रांड का नाम नहीं लिया, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि वीडियो में स्पष्ट रूप से 'रूह अफजा' को निशाना बनाया गया था। जस्टिस अमित बंसल की अध्यक्षता वाली बेंच ने बाबा रामदेव को हमदर्द के उत्पादों के खिलाफ कोई भी सार्वजनिक बयान देने और वीडियो या सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने से रोकने का आदेश दिया।
कोर्ट की कड़ी फटकार
कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव किसी के वश में नहीं हैं और वे अपनी दुनिया में रहते हैं, लेकिन बार-बार न्यायालय के आदेशों की अनदेखी करना अवमानना के दायरे में आता है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर ये अवमानना जारी रही तो उनके खिलाफ औपचारिक अवमानना कार्यवाही शुरू की जाएगी।
सोशल मीडिया और कानूनी चुनौती
यह मामला सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा में रहा। हमदर्द ने मांग की कि बाबा रामदेव के सभी आपत्तिजनक वीडियो और पोस्ट तुरंत हटाए जाएं। यह विवाद बाबा रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि के लिए एक और कानूनी चुनौती बन गया है, क्योंकि पहले भी वे भ्रामक विज्ञापनों और विवादास्पद बयानों को लेकर अदालतों के घेरे में रह चुके हैं।
सारांश
बाबा रामदेव ने 'रूह अफजा' को लेकर विवादित टिप्पणी की।
हमदर्द ने याचिका दायर कर इस टिप्पणी को घृणा फैलाने वाला भाषण बताया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई और आदेश दिया कि वे इस तरह के बयान न दें।
कोर्ट ने अवमानना की चेतावनी भी दी।
मामला सोशल मीडिया पर भी गरमाया।
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