भेड़ चराने वाले का बेटा बना अफसर
वीरदेव का जन्म कोल्हापुर जिले के एक छोटे से गांव यमगे में हुआ। उनका परिवार पारंपरिक रूप से बकरियां और भेड़ें चराने का काम करता है। उनके पिता खुद भी 12वीं तक पढ़े हैं, लेकिन आर्थिक मजबूरियों के चलते उन्होंने यही पेशा अपनाया। वीरदेव का बचपन भी इन्हीं परिस्थितियों में बीता-हाथ में लकड़ी, पैरों में बड़ी चप्पलें और सिर पर धूप।
एक घटना ने बदल दी सोच
एक बार वीरदेव का मोबाइल फोन खो गया। जब वे पुलिस थाने शिकायत करने गए, तो उनकी FIR तक नहीं लिखी गई। इस अपमान और असहायता ने उनके मन में ठान लिया कि वे एक दिन खुद अधिकारी बनेंगे, ताकि आम लोगों की मदद कर सकें।
UPSC की कड़ी मेहनत और सफलता
वीरदेव ने UPSC के लिए दिन-रात मेहनत की। कई बार तो वे 22-22 घंटे पढ़ाई करते थे। पहले दो प्रयासों में असफलता मिली, लेकिन तीसरे प्रयास में उन्होंने 551वीं रैंक हासिल की। रिजल्ट आने के बाद उनके परिवार और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।
निष्कर्ष:
वीरदेव की सफलता उन सभी युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं। उनकी कहानी बताती है कि हार मानना नहीं, बल्कि लगातार कोशिश करना ही सफलता की कुंजी है।
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