शमी और हसीन जहां का तलाक का केस कोलकाता के अलीपुर कोर्ट में चल रहा था। 2018 में निचली अदालत ने शमी को केवल ₹1,30,000 प्रति माह देने का आदेश दिया था, जिससे हसीन जहां संतुष्ट नहीं थीं। हसीन जहां ने हाईकोर्ट में अपील की और दलील दी कि शमी की सालाना आमदनी लगभग ₹7 करोड़ 19 लाख (यानी करीब ₹60 लाख प्रति माह) है, इसलिए गुजारा भत्ता बढ़ाया जाए। हाईकोर्ट ने माना कि शमी की आर्थिक स्थिति को देखते हुए पुराना आदेश अनुचित था और नई रकम तय की।
कोर्ट के तर्क
• कोर्ट ने कहा कि हसीन जहां ने दोबारा शादी नहीं की है और अपनी बेटी के साथ अकेली रहती हैं।
• शमी अपनी बेटी की पढ़ाई या भविष्य के लिए और भी पैसे स्वेच्छा से दे सकते हैं।
• यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक ट्रायल कोर्ट में चल रहे मुख्य आवेदन का अंतिम फैसला नहीं आ जाता।
पृष्ठभूमि
• शमी और हसीन जहां की शादी 2014 में हुई थी, 2015 में उनकी एक बेटी हुई।
• 2018 में हसीन जहां ने शमी पर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और मैच फिक्सिंग जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।
• हसीन जहां का आरोप था कि शमी ने घर खर्च के लिए पैसे देना बंद कर दिया था, जिससे मामला कोर्ट तक पहुंचा।
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