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छत्तीसगढ़-झारखंड सीमा पर नक्सली हमला: शांति वार्ता के बीच धोखे की नई कहानी

हाल ही में छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर नक्सलियों ने एक बार फिर से खौफ का माहौल बना दिया है। एक ओर जहां सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक ऑपरेशन चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नक्सली नेता शांति वार्ता के लिए पत्र भेज रहे हैं। लेकिन इसी बीच झारखंड बॉर्डर पर एक दर्दनाक हमला सामने आया, जिसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं - क्या शांति वार्ता सिर्फ एक छलावा है? क्या नक्सली अपनी पुरानी रणनीति को नए रूप में आजमा रहे हैं?


ऑपरेशन और शांति वार्ता की हकीकत

छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर सुरक्षा बल लगातार नक्सलियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चला रहे हैं। इसी दौरान नक्सलियों की तरफ से शांति वार्ता के लिए कई बार पत्र भेजे गए हैं। इन पत्रों में नक्सली कमांडर सरकार से बातचीत की अपील कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह वार्ता वाकई में शांति के लिए है या फिर यह सिर्फ एक रणनीति है?

झारखंड बॉर्डर पर हमला

इसी बीच झारखंड के महुआ डांड थाना क्षेत्र के उरसापाड़ गांव में नक्सलियों ने एक बेकसूर मुंशी की हत्या कर दी और सड़क निर्माण में लगी जेसीबी मशीन को आग के हवाले कर दिया। यह घटना तब हुई जब शांति वार्ता की बातें चल रही थीं। इससे साफ होता है कि नक्सली एक तरफ बातचीत का दिखावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अपनी हिंसक गतिविधियों को भी जारी रखे हुए हैं।

नक्सली रणनीति में बदलाव?

कुछ दिनों पहले मीडिया में खबर आई थी कि नक्सलियों ने शांति वार्ता के लिए पांच बार पत्र भेजे थे। साथ ही, आईबी डायरेक्टर खुद छत्तीसगढ़ आकर ऑपरेशन की समीक्षा कर चुके हैं। राजनीतिक दलों और कुछ संस्थाओं ने भी ऑपरेशन रोकने और वार्ता को आगे बढ़ाने की मांग की है। लेकिन झारखंड में हुए इस हमले ने यह साबित कर दिया कि नक्सलियों की असलियत अभी भी नहीं बदली है।

हिडमा की गुमशुदगी

नक्सलियों के प्रमुख कमांडर हिडमा के तेलंगाना बॉर्डर पर फंसे होने की खबरें थीं, लेकिन अचानक उसके गायब होने की खबर ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। हालांकि, सुरक्षा बलों ने इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन यह चर्चा का विषय जरूर बन गया है।

विकास कार्यों पर हमला

छत्तीसगढ़ के सुरक्षा बलों ने हाल ही में एक पहाड़ पर तिरंगा फहराकर बड़ी जीत हासिल की थी, लेकिन इसके तुरंत बाद नक्सलियों ने विकास कार्यों को रोकने के लिए हमला कर दिया। यह हमला नक्सलियों का सख्त संदेश था कि वे कभी नहीं बदलेंगे।

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