मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के लील गांव में एक दलित युवक जगदीश जाटव के शव का अंतिम संस्कार करने से रोक दिया गया। यह घटना 28 अप्रैल 2025 को हुई, जब जगदीश का शव सड़क हादसे में मौत के बाद उनके गांव लाया गया था।
विवाद की पूरी कहानी :
जगदीश जाटव, 33 वर्ष, बेंगलुरु में प्राइवेट नौकरी करते थे।
23 अप्रैल को सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई।
28 अप्रैल को सुबह 10 बजे उनका शव गांव लाया गया।
दोपहर 1 बजे अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाया गया। लेकिन रावत समाज के लोगों ने अंतिम संस्कार करने से रोक दिया, यह कहते हुए कि यह जमीन उनकी बिरादरी की है और दलित समुदाय को यहां अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं है।
घटना का विस्तार :
विरोध करने वाले लोगों ने शव को बीच सड़क पर रोक दिया।
इसके बाद तनाव बढ़ा और दोनों पक्षों के बीच पत्थरबाजी हुई। जगदीश के परिवार ने बताया कि पटवारी ने अंतिम संस्कार के लिए जमीन दी थी, जो सरकारी जमीन थी।
रावत समाज के मुखिया मुंशी रावत ने कहा कि वे अपने खेत में शव जलाने की अनुमति नहीं देंगे क्योंकि वहां फसल उगती है।
प्रशासन की भूमिका और समाधान :
शव लगभग 6 घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा।
परिवार ने मांग की कि पहले विरोध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो। प्रशासनिक अमले ने मौके पर पहुंचकर मामला शांत कराया। इसके बाद परिवार ने अंतिम संस्कार किया।
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