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संसद में चंद्रशेखर आजाद की SIR और चुनाव सुधारों पर भाषण

लोकसभा में चंद्रशेखर आजाद ने चुनाव सुधारों पर चल रही बहस के दौरान मताधिकार, SIR प्रक्रिया, ईवीएम और मतदाता सूचियों में हो रही त्रुटियों पर गंभीर सवाल उठाए।उन्होंने खास तौर पर दलितों, आदिवासियों, घुमंतु जातियों, गरीबों और महिलाओं के मताधिकार पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव की ओर ध्यान दिलाया।

मताधिकार और डॉ. अंबेडकर की भूमिका
आजाद ने कहा कि भारत के हर वयस्क नागरिक को मिला मताधिकार डॉ. भीमराव अंबेडकर के संघर्ष की देन है और कांशीराम ने वंचित वर्गों को इसे इस्तेमाल करना सिखाया।उन्होंने याद दिलाया कि राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस से लेकर संविधान निर्माण तक डॉ. अंबेडकर लगातार सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के पक्ष में खड़े रहे।

अंतरराष्ट्रीय और ऐतिहासिक संदर्भ 
भाषण में ब्रिटेन, अमेरिका, न्यूजीलैंड जैसे देशों के उदाहरण देकर बताया गया कि दुनिया भर में मताधिकार को समय के साथ संपत्ति, आय और शिक्षा जैसी योग्यता से मुक्त किया गया। आजाद ने कहा कि भारतीय संविधान निर्माताओं ने 1950 में ही सबको मताधिकार देकर कई विकसित देशों से अधिक साहसी और प्रगतिशील कदम उठाया।

SIR प्रक्रिया पर आपत्ति 
चंद्रशेखर आजाद के अनुसार SIR के तहत मतदाता सूची के लिए ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो बड़ी संख्या में गरीबों, महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और घुमंतु समुदायों के पास नहीं हैं।उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट मतदाता सूची में दोहरी प्रविष्टियां, जीवित लोगों को मृत दिखाना और अन्य गलतियां पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्न खड़े करती हैं। 

महिलाओं और विवाहित मतदाताओं की समस्या 
उन्होंने विशेष रूप से विवाहित महिलाओं की दिक्कत रखी कि जो महिलाएं 20–25 साल से पति के साथ एक ही पते पर रह रही हैं, उनके लिए अलग से लेगेसी लिंक मांगना अव्यवहारिक है। आजाद के मुताबिक यह व्यवस्था महिलाओं को मतदाता सूची से बाहर करने का गंभीर खतरा पैदा करती है और यह उनकी नागरिकता व गरिमा पर प्रहार है।

बीएलओ की स्थिति 
भाषण में बीएलओ (Booth Level Officers) की सुरक्षा, मानदेय और कार्य परिस्थितियों पर भी चिंता जताई गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अत्यधिक कार्य दबाव और प्रशिक्षण के अभाव के कारण कुछ बीएलओ ने आत्महत्या तक कर ली, लेकिन प्रशासन ने इसे सामान्य घटना बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा।

ईवीएम, बैलेट पेपर और चुनाव प्रक्रिया 
चंद्रशेखर आजाद ने मांग रखी कि ईवीएम के स्थान पर बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं और वीवीपैट की पूर्ण गिनती सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सवाल किया कि जब चरणबद्ध चुनावों में लोग कई दिन इंतजार कर सकते हैं तो एक दिन अतिरिक्त गिनती के लिए इंतजार करने में क्या दिक्कत है।

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