युक्तियुक्तकरण नीति क्या है?
युक्तियुक्तकरण नीति के तहत स्कूलों में छात्रों की संख्या के हिसाब से शिक्षकों की नियुक्ति और स्कूलों का विलय (मर्जर) किया जा रहा है। सरकार का तर्क है कि इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और जहां जरूरत है, वहां ज्यादा शिक्षक मिलेंगे। लेकिन शिक्षकों का आरोप है कि इससे हजारों स्कूल बंद हो जाएंगे और शिक्षकों की कमी हो जाएगी।
शिक्षकों का विरोध और मांगें
शिक्षकों का कहना है कि:
सरकार ने चुनाव से पहले 57,000 शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था, लेकिन अब न तो भर्ती हो रही है और न ही स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक हैं।
2008 के सेटअप के अनुसार, हर प्राथमिक स्कूल में एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक होने चाहिए, लेकिन नई नीति में इसे घटाया जा रहा है।
सरकार स्कूलों को बंद कर रही है, जिससे शिक्षा का स्तर गिरेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी।
केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति (2020) के तहत 60 बच्चों पर सिर्फ 2 शिक्षक रखे जा रहे हैं, जो पूरी तरह गलत है।
प्रदर्शन का रूप
रायपुर के तूता धरना स्थल पर करीब 10,000 से ज्यादा शिक्षक और अभ्यर्थी जुटे।
कई शिक्षक सड़क पर लेटकर, भूख हड़ताल और अन्य रचनात्मक तरीकों से विरोध जता रहे हैं।
B.Ed और D.Ed के छात्र दान पेटी लेकर पहुंचे, ताकि स्कूलों को बचाने के लिए आम जनता से सहयोग लिया जा सके।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि 2008 के सेटअप को पुनः लागू किया जाए और शिक्षकों की भर्ती जल्द से जल्द की जाए।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि युक्तियुक्तकरण से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और जहां जरूरत है, वहां शिक्षक उपलब्ध कराए जाएंगे। लेकिन शिक्षकों का कहना है कि यह नीति जमीनी हकीकत से दूर है और इससे शिक्षा व्यवस्था को नुकसान होगा।
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