दिल्ली सरकार ने प्राइवेट और गवर्नमेंट-एडेड प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब कोई भी स्कूल मनमानी तरीके से फीस नहीं बढ़ा पाएगा। दिल्ली कैबिनेट ने "दिल्ली स्कूल एजुकेशन (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025" के मसौदे को मंजूरी दे दी है। आइए जानते हैं इस बिल की मुख्य बातें और इसका असर।
क्यों लाया गया ये बिल?
हर साल प्राइवेट स्कूल फीस बढ़ा देते थे, जिससे पैरेंट्स परेशान रहते थे।
कई बार स्कूल फीस न देने पर बच्चों को मानसिक प्रताड़ना दी जाती थी।
दिल्ली हाईकोर्ट तक ये मामला पहुंच चुका था।
पुराने कानून (1973) के मुताबिक शिक्षा में बदलाव तो हुए, लेकिन फीस नियंत्रण के लिए कोई ठोस कानून नहीं था।
बिल की मुख्य बातें
तीन स्तर की कमेटियां बनेंगी:
स्कूल लेवल: इसमें प्रिंसिपल, तीन शिक्षक, पांच अभिभावक और एक मैनेजमेंट कमेटी सदस्य होंगे।
जिला स्तर: यदि स्कूल लेवल कमेटी में सहमति नहीं बनती, तो मामला जिला कमेटी में जाएगा।
राज्य स्तर: अगर जिला स्तर पर भी समाधान नहीं हुआ, तो मामला राज्य स्तर की कमेटी में जाएगा।
समय-सीमा तय
15 जुलाई 2025 तक हर स्कूल को कमेटी बनानी होगी।
31 जुलाई तक फीस जमा करने का प्रस्ताव देना होगा।
15 सितंबर तक सभी कमेटियों के प्रस्ताव सामने आ जाएंगे।
30 सितंबर तक सुझाव और बदलाव पूरे किए जाएंगे।
बच्चों के अधिकार
फीस न जमा करने पर बच्चों को प्रताड़ित करने पर सख्त सजा: हर दिन के हिसाब से स्कूल को जुर्माना देना होगा।
20 दिन तक सुधार न हुआ तो जुर्माना डबल, फिर ट्रिपल और अंत में 10 लाख रुपये तक जुर्माना और स्कूल की मान्यता रद्द हो सकती है।
जरूरत पड़ी तो सरकार स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में ले सकती है।
अब तक की कार्रवाई
970 स्कूलों का निरीक्षण।
150+ स्कूलों को फीस बढ़ोतरी पर नोटिस।
42 स्कूलों में डमी क्लासेस का खुलासा।
300+ स्कूलों में किताबों और यूनिफॉर्म से जुड़ी शिकायतों का समाधान।
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