श्रवण सिंह का योगदान
श्रवण सिंह, किसान सोना सिंह के बेटे हैं। उनके पास न वर्दी थी, न हथियार, लेकिन देशसेवा का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। श्रवण ने अपने छोटे-छोटे हाथों से सैनिकों के लिए जो कर सकता था, वह किया। वह रोज अपने घर से सैनिकों के लिए ठंडा पानी, दूध, लस्सी और बर्फ लेकर जाता था। भीषण गर्मी में यह राहत सेना के जवानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी।
जब पूरा गांव युद्ध के डर से सहमा हुआ था, तब श्रवण हर दिन दौड़कर सैनिकों के पास जाता और उन्हें यह एहसास दिलाता कि वे अकेले नहीं हैं।
सेना द्वारा सम्मान
भारतीय सेना ने श्रवण के समर्पण और बहादुरी को देखते हुए 27 मई को एक विशेष समारोह में उन्हें सम्मानित किया। सेना की 7वीं इन्फेंट्री डिवीजन के मेजर जनरल रणजीत सिंह मांड्राल ने श्रवण को एक स्मृति चिन्ह, विशेष भोजन और उसकी पसंदीदा आइसक्रीम भेंट की। श्रवण इस सम्मान से बेहद खुश है और बड़ा होकर फौजी बनने का सपना देखता है।
परिवार का समर्थन
श्रवण के पिता सोना सिंह ने भी अपने बेटे के जज्बे को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि श्रवण एक भी दिन जवानों की सेवा करने से नहीं चूका। परिवार ने कभी उसे रोका नहीं, बल्कि हमेशा उसका साथ दिया।
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